Thursday, January 7, 2016

भाग-१ : रूप रेखा

भारत आईटी में महाशक्ति है, हम पूरी दुनिया को आईटीईएस यानी कि आई टी इनेबलड सर्विसेज़ प्रवाइड करते हैं। विश्व के सभी देश आज कल हमारी प्रगति से भौंचक्के दिखते हैं। जहाँ पहले अमेरिकनों का क़ब्ज़ा था आज वहाँभारतीयों ने अपनी गहरी पैंठ बनायी है। लेकिन इस इंडस्ट्री की हक़ीक़त से बहुत से लोग अनजान हैं, इसकी थोड़ी बखिया उधेड़ी जाए और रायबहादुरों से भरी इस लाइफ़ के बारे में बात की जाए।  

चलिए थोड़ी रूप रेखा बनायीं जाए। लंदन की किसी कम्पनी ने (नाम कुछ भी रख लीजिये) भारतीय उदारीकरण से प्रभावित होकर भारत में ऑफ़िस खोलने का फैसला किया। उन्होंने अपना ख़र्चा कम करने और सस्ते भारतीय लेबर का फ़ायदा लेने के लिए अपनी बिज़नेस स्ट्रेटेजी बनायी कि चलो भारत। नए नए CEO ने बोर्ड मीटिंग में अनाउन्स किया कि अब हम लंदन में नहीं भारत में नौकरी डालेंगे और यहाँ से हज़ारों लोगों की छुट्टी होगी। पूरे लंदन ऑफ़िस में हाहाकार मच गया, कई लोग तो कम्पनी छोड़ कर भाग लिए  गए और कई अपने गले कटने का इंतज़ार करने लगे। बहरहाल मामला दो तीन महीने में शांत हुआ और फिर से अगली बोर्ड मीटिंग हुई और भारत में अपनी यूनिट डालने के लिए एक इंडियन काउंटरपार्ट खोजा गया। अब आप इस भारतीय कम्पनी को टीसीएस कह लीजिए या विप्रों या फिर इनफ़ोसिस या कुछ और लेकिन उस कम्पनी के साथ बैठकर इस लंदन की कम्पनी को आगे की नीति तय करनी थी। भारत की कम्पनी के लिए यह एक अचीवमेंट था और वह ख़ुशी से फूली नहीं समा रही थी। उसने भी एक नयी ऑन-बोर्डिंग टीम बना दी और सभी को तैयारी करने को कह दिया। भारतीय टीम के धुरंधरों ने लंदन टीम के बोर्ड को कहा कि फ़लाँ फ़लाँ जगह पर ऑफ़िस खोलो, सस्ता होगा और फ़लाँ फ़लाँ जगह पर लोग मिलेंगे वग़ैरह वग़ैरह। लंदन की  कम्पनी का एक यूनिट भारत में खुल गया और उसमें कर्मचारी बैठा दिए गए। यहाँ से शुरू हुआ असली सरकस क्योंकि यहाँ तक की कहानी तो आप सभी जानते हैं, हम इस सरकस को कुछ काल्पनिक पात्रों के रूप में, संक्षिप्त कहानियों के रूप में समझेंगे और थोड़े व्यंग्यात्मक अंदाज़ में इसे समझने की कोशिश करेंगे।

बोलो परम प्रतापी हिन्दुस्तानी इंजिनियर की जय।   

No comments:

Post a Comment